निशंक न्यूज़ ब्यूरो
आखिर क्या किया गाय के नाम की रोटी सेकने वालों। पंचायत से लेकर देश की सत्ता पर काबिज होने का काम केवल गाय ने किया तो फिर आपने क्या किया। ये हमको भी पता है कि गाय के संरक्षण का काम हथेली में सरसों जमाने का काम नही है लेकिन जब कोई गाय भक्त शासक हो तो उम्मीद बंधती है, लेकिन हकीकत में अतर्रा की घटना ने सारी उम्मीद पर पानी फेरने का काम किया है। एक नहीं 12 गायों की मौत वो भी केवल लापरवाही ने ले ली इससे बड़ा और उदाहरण और क्या हो सकता है कि प्रदेश में न तो शासन और न प्रशासन सही है, नहीं तो जिनके नाम पर वोट बटोरा वो ही जान की खैर मनाए।
अतर्रा के कान्हा गोशाला में 12 गोवंशों की ठंड से मौत
जिले के अतर्रा में संचालित गोशालाओं में गोवंशों को ठंड से बचाने को लेकर कई न्यूज़ एजेंसियों द्वारा खबर के जरिए सचेत करने के बाद भी जिम्मेदारों ने सबकी भावनाओं को ताक में रखा। परिणाम में गुरुवार को कान्हा पशु आश्रय स्थल में ठंड से दर्जन भर गायों की मौत हो गई। चार बीमार गाय मरणासन्न हालत हैं। फजीहत से बचने के लिए नगर पालिका ने गायों के शव को नाले में फेंकवा दिया। शर्म को दरकिनार करते हुए योगी राज के अधिकारी सिर्फ दो गायों की मौत स्वीकार कर रहे है। दिखावे के तौर पर एसडीएम ने लापरवाही पर गोशाला प्रभारी सहित चार कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जिसका इस विषय मे क्या हस्र होना है सबको पता है।
सरकार इस मामले में कितनी संजीदा है इसकी बानगी समय समय पर मिलती रही है। हालांकि वोटों की खेती करने वाली गाय केवल फसल काटने तक नेताओं के काम रही है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निरीक्षण व सख्ती के बाद भी जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में निर्मित गोश्रय केंद्रों की हालत दयनीय बनी हुई है। लगभग एक सप्ताह पहले गोशालाओं की पड़ताल कर ठंड से बचाव को लेकर बदइंतजामी का मामला लगभग सभी समाचार पत्रों में उजागर किया गया था । लेकिन इसके बावजूद भी मोटी चमड़ी वाले अधिकारी सचेत नहीं हुए। अचानक बढ़ी ठंड के बाद भी अभी तक इनमें रह रहे बेजुबानों के लिए कोई आवश्यक इंतजाम नही किये गए है। जिसके नतीजे में नगर पालिका अतर्रा द्वारा संचालित कान्हा गोशाला स्थल में तैनात कर्मियों की लापरवाही के चलते ठंड से एक दर्जन से अधिक जानवरों की मौत हो गई। कोई बचाव न होने व उपचार की समुचित व्यवस्था न होने का खामियाजा बेजुबानों को भुगतना पड़ा। चोरी की चोरी ऊपर से सीना जोरी के तहत पालिका कर्मियों ने गायों की मौत छिपाने के उद्देश्य से उनके शव वहां से हटाकर बदौसा रोड स्थित शांति धाम सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पीछे नाला में फेंक दिया। उसके बाद कान्हा गोशाला में पड़ी चार मरणासन्न गायों को पालिका के कर्मचारियों ने उपचार के लिए हरिश्चंद्र वाटिका भेजने का प्रयास किया, लेकिन सूचना पर पहुंचे ग्रामीणों के विरोध पर कान्हा गोशाला में ही उपचार करना पड़ा। उधर, उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. रामवृक्ष सिंह का कहना है कि बीमार पशुओं का इलाज किया गया था। अब सरकार को भी सोचना होगा कि भावनाओं के मसले पर हर बार किसी भी वोटर को ठगा नहीं जा सकता। सरकार या तो गायों को भगवान भरोसे छोड़ दें या फिर गो वंश के चुनावी वादे को पूरा करे।