वन मैन आर्मी बने पवार,जानिए क्यों

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विपक्ष की तरफ से अकेले गठबंधन से लिया मोर्चा
तेज बारिश में की गई सभा ने बनाया युवाओं की पसंद
दस सीटों पर असर डाल सकती है भीगते में की गई सभा
आगे की राजनीति में और अधिक प्रभावी होनें के संकेत
अनीता सरस वाजपेयी
महाराष्ट्र विधान के लिये सोमवार को मतदान हो गया। अभी तक आ रहे संकेतों और सर्वे पर भरोसा किया जाए तो यहां के चुनाव में एक बार फिर भाजपा-शिवसेना गठबंधन पूरे बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहा है लेकिन इस चुनाव में एनसीपी नेता शरद पवार इस गठबंधन के खिलाफ विपक्ष की तरफ से वन मैन आर्मी बनकर उभरे। इस उम्र में पवार यह संघर्ष देख एक बार युवा इनकी तरफ प्रेरित हुआ जिसका परिणाम इस चुनाव में भले ही ज्यादा न दिखे लेकिन आने वाले समय में इसका असर महाराष्ट्र की राजनीति में दिख सकता है। कांग्रेस के लिये यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा और पश्चिम बंगाल की तरह यहां भी एनसीपी प्रमुख विरोधी दल बनकर उभरने के संकेत दे गया।
महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों में पिछले चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 185 सीटें मिली थी और तब कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन 83 सीट पाकर दूसरे स्थान पर रहा था। 2014 के चुनाव में सीटों में ज्यादा अंतर न होने के कारण भाजपा-शिवसेना के बीच कई बार कई मामलों में तकरार भी रही लेकिन पूरे पांच साल भाजपा के नेतृत्व में यहां सरकार चली। लोकसभा चुनाव के पहले शिवसेना ने दबाव की राजनीति खेली और बाद में दोनों ने गठबंधन धर्म निभाकर चुनाव लड़ा जिसका फायदा शिवसेना को भी मिला और भाजपा को भी। इस बार विधानसभा चुनाव में भी दोनों दल साथ चुनाव लड़े लेकिन राजनीति के जानकारों की मानी जाए तो कई स्थानों पर भाजपा के लोग इस प्रयास में लगे कि किसी तरह शिवसेना के उम्मीदवार को डैमेज किया जाए ताकि विधानसभा में उसके विधायकों की संख्या ज्यादा हो और वह शिवसेना को यह दिखा सके कि आगे से उसकी अगवाई में चुनाव लड़ना पड़ेगा ना कि भाजपा शिवसेना से गठबंधन करने को आतुर होगी। जाहिरा तौर पर गठबंधन होने के बाद भी कई इलाकों में भाजपा व शिवसेना के जमीनी लोग एक दूसरे के उम्मीदवार को लत्ती लगाकर गिराने की कोशिश करते देखे गए चाहे वह नारायण राणे के प्रभाव वाला इलाका हो या फिर अन्य नारायण राणे तो शिवसेना को फूटी आंख नहीं देखना चाहते और भाजपा ने नारायण राणे को काफी महत्व दिया।
इस बीच चुनाव बाद के संकेत भाजपा के लिये खुश होने वाले हैं वह शिवसेना से ज्यादा सीटें जीतने की राह पर है और नारायण राणे के प्रभाव वाले क्षेत्र में उसे बड़ी सफलता मिलने के संकेत भी मिले हैं। अगर भाजपा अपनी रणनीति में सफल होकर शिवसेना से काफी ज्यादा सीटें जीत जाती है तो अगले पांच साल तक वह शिवसेना को दबाव में लेकर ही सरकार चलाएगी और जिन मुद्दों पर शिवसेना अब तक भाजपा का विरोध करती रही है उन मुद्दों पर भाजपा तेजी से काम कर सकती है।


जानकारों की मानी जाए तो भाजपा-शिवसेना गठबंधन को बड़ी जीत मिलने के संकेतों का बड़ा कारण यह भी है कि इस बार यहां के चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन भी एक जुट होकर मजबूती से इस गठबंधन के खिलाफ मोर्चा नहीं ले सका। सीट के बंटवारे को लेकर चुनाव के पहले ही कांग्रेस व एनसीपी के बीच जो जुबानी तीर चले वह लोगों को पसंद नहीं आए। पूरे चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन के खिलाफ एनसीपी प्रमुख शरद पवार अकेले ही मोर्चा लेते रहे। ठीक चुनाव के पहले ईडी का शिकंजा कसने के प्रयास के विरोध में जिस तरह शरद पवार ने मार्च निकालकर ईडी कार्यालय जाने का ऐलान किया उससे सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। जिसका राजनीतिक लाभ श्री पवार को मिला। इसके बाद चुनाव में भी वह अकेले ही सत्ताधारी गठबंधन से मोर्चा लेते रहे जो सरकार की नीतियों से नाराज लोगों को बेहद पसंद आया और विरोध का वोट कांग्रेस के बजाए एनसीपी नेता की तरफ केंद्रित हो गया।
राजनीति के जानकारों का कहना है कि मतदान के कुछ दिन पहले जिस तरह से एक सभा में शरद पवार ने भीड़ को देखकर तेज बारिश में भीगते हुए लोगों को संबोधित किया और जोरदारी से अपनी बात रखी उससे सत्ता विरोधी लोगों में एक बात घर कर गयी श्री पवार ही वन मैन आर्मी बनकर भाजपा-शिवसेना गठबंधन से मोर्चा लेने की स्थिति में हैं। तेज बारिश में श्री पवार द्वारा की गई यह सभा बाद में करीब दस सीटों के परिणाम पर असर डालने वाली साबित हो सकती है।
कांग्रेस का हो सकता सफाया
जानकारों की मानी जाए तो जिस तरह से पूरे चुनाव में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने अकेले दम पर सत्ताधारी गठबंधन के खिलाफ मोर्चा संभाला और लोगों खासकर युवाओं के दिल में जगह बनाई उससे इस बात की चर्चा भी शुरू हो गई है कि आने वाले चुनाव में महाराष्ट्र में एनसीपी ही प्रमुख विरोधी दल बनकर उभर सकती है और जिस तरह से प. बंगाल से कांग्रेस का वजूद लगभग समाप्त हुआ और ममता बनर्जी की तृण मूल कांग्रेस बामपंथियों के विरोध को अपने पक्ष में भुनाने में कामयाब हुई उसी तरह आने वाले समय में महाराष्ट्र में कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है और एनसीपी प्रमुख विरोधी दल बनकर उभर सकता है।