राष्ट्रपति के अपने जिले में चिराग़ तले अंधेरा ?

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विकास वाजपेयी
प्रदेश की राजधानी से कुछ ही दूर, सुबह का समय है और लोटा पार्टी का झुंड खेतों की तरफ अपनी पोजिशन लेने जा रहा है। सिर में लंबा पल्लू और हाथ मे लोटा लिए गांव की ये महिलाएं नित्य कार्य के लिए तेज कदम बढ़ा रही है कि कही उजाला न हो जाये और इनकी अस्मत पर किसी वहशी की निगाह न पड़ जाए।
ये हक़ीक़त बयां करता दृश्य किसी और जिले का नहीं बल्कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पैतृक जिले का है। जिसमे लोगों को आज भी सरकारी योजनाओं की सौगातों आए दूर रखा गया वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खुले में शौच से मुक्ति के अभियान से वंचित रखा गया है।


आज भी कागजों में कानपुर देहात कहें या अकबरपुर जिला ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
कानपुर देहात की अकबरपुर तहसील से मात्र तीन किलोमीटर दूर कृपालपुर गांव के डेरा के माजरा तहसील के किसी भी घर मे शौचलय की व्यवस्था नही है। इस गांव की महिलाओं की पीड़ा यह है कि चाहे तबियत हो न हो स्वास्थ चलने लायक बना रहे या नहीं लेकिन तड़के सुबह सूर्य उदय के काफी पहले घर की महिलाएं समूह बना कर शौच के लिए खेतों में जाती हैं। हालांकि उन लोगो को इस बात की विशेष रूप से चिंता करनी होती है कि अंधेरे का पर्दा रहे कही सूर्य उदय न हो जाए। इसी गांव की रोशनी कहती है कि शर्म तो बहुत लगती है लेकिन गांव के किसी भी घर मे शौचलय न बना होने के कारण मजबूरी में ये सब करना पड़ता है।
रोशनी की बातों में हाँ में हाँ मिलते हुए पूजा कहती है कि आये दिन शौच करने जाने वाली महिलाओं के साथ घटनाओं के विषय मे जानकारी मिलती है लेकिन सब जगह गुहार लगाने के बाद भी कृपालपुर गांव में एक भी शौचलय नहीं बनाया गया केवल नेताओ और अधिकारियों से बातें ही मिली है। वही राष्ट्रपति के इस जिले की अकबरपुर तहसील राजनीतिक उठापटक का भी शिकार रही है। करीब 200 परिवारों वाले इस माजरा का डेरा गांव बंजारा जाती बाहुल्य है। इस तहसील में पूर्व में बीएसपी की प्रत्याशी ज्योत्सना कटियार ने नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी लेकिन उनको यहाँ से बहुत कम वोट मिले थे जिससे उन्होंने इस क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया। हालांकि अब वो बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर चुकी है। गांव के रामप्यारे कहते है कि एक तरफ अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार और दूसरी तरफ राजनीतिक समीकरणों की पेचेन्दगी भी इस समस्या के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है।


आखिर इस पूरे मामले की पड़ताल के लिए जब जिले के जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि ये सही है कि इस गांव में कोई शौचलय नहीं बन सका है और आखिर ऐसा क्यों हुआ इसकी जांच कराई जाएगी लेकिन बहुत ही जल्द गांव में एक सामूहिक शौचालय बनाया जाएगा और इसके बाद गांव के लोगों के घरों में शौचालय बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएगी। हालांकि जिलाधिकारी महोदय के पास इस बात का कोई जवाब नही मिला की आखिर शौचालय न बनने के बाद भी गांव को खुले में शौच मुक्त कैसे घोसित किया गया।