विकास वाजपेयी
एक है शिकारी और वो भी गजब का शिकारी कहाँ जाता है अपने शिकार को खोज ही लेता है। उन शिकार में इतना जहर भरा जाता है कि वो कोबरा की तरह जहरीले साबित होते है।
अब आते है इसके बैक ग्राउंड की उस घटना पर जिसने एक हसते खेलते परिवार का सूरज ही डूबा दिया। घटना दीवाली की दूसरी रात की है जब दो भाइयों ने अपने सगे छोटे भाई को साथी के साथ मिलकर मौत की नींद सुला दिया और घटना को गुमसुदगी की शक्ल देने के लिए भाई की लाश को दूसरे जिले उन्नाव के अजगैन में सुनसान स्थान पर फेंक दिया।
जी हाँ बात हो रही है कानपुर के जघन्य अपराध विजय गुप्ता हत्या कांड की जिसमे भाई ने जायदाद के लालच में अपने सगे भाई की हत्या कर दी थी और सूत्रों की माने तो इस हत्या की पूरी साजिश को एक सिपाही के शह पर अंजाम दिया गया।
शिकारी कोई और नहीं बल्कि नौबस्ता थाने में तैनात एक सिपाही है जो पुलिस विभाग के लिए भी पहेली बना हुआ है। अमित शिकारी नाम से मशहूर ये सिपाही स्वाट टीम, क्राइम ब्रांच जैसे न जाने कितने प्रमुख विभागों में तैनात रहा है। और इसी तैनाती के समय मे विजय के भाई मनोज गुप्ता (कोबरा) की जान पहचान अमित शिकारी से हो गई जो पहले पुलिस के मुखबिर के रूप में काम करता था । हालांकि जब मुखबिरों की अपराध में हिस्सेदारी बढ़ने लगी तो पुलिस ने इनसे किनारा का लिया और बाद में इनमें से कई मुखबिर थाने के spo, यानी स्पेशल पुलिस अधिकारी के रूप में पुलिस विभाग के करीब पहुच गए जिनमे मनोज गुप्ता उर्फ कोबरा भी एक था और वो spo बन कर पुलिस के लिए अच्छे बुरे काम मे शामिल हो गया।
जायदाद में हिस्सा छोड़ने के लिए कोबरा ने पहले पुलिस के spo का धौंस जमाकर विजय को परेशान करना शुरू कर दिया और पुलिस से इस बात की मदद लेनी शुरू कर दी जिसमे अमित शिकारी उसकी जमकर मदद करता था। लेकिन बाद में जब विजय पत्रकार के रूप में समाज मे चर्चित हो गया तो उसने थाने के दूसरे लोगों से मिलकर कोबरा के दबाव को बदल दिया। इसी बीच कोबरा ने विजय के बारे में शिकारी को पूरी बात बताई तो ये एक प्लान सामने आया जिसमे विजय को रास्ते से हटाने के काम को अंजाम देना तय हो गया। जानकारों के मुताबिक पुलिस इस विषय मे साक्ष्यों की तलाश में लग गई है और शिकारी के खिलाफ सबूतों को एकत्र करने का काम किया जा रहा है। हालांकि पुलिस के अधिकारी अभी इस विषय मे कोई विशेष जानकारी होने से इनकार कर रहे है।
सभी तरफ से पुलिस और प्रशासन पर इस बात का दबाव बनाने की जा रही है जिससे विजय के परिवार को न्याय मिल सके। कानपुर के प्रेस क्लब ने इस बावत प्रदेश सरकार से विजय की पत्नी रोली और उसके बच्चे को आर्थिक मदद देने के लिए आज जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया और पत्नी को सरकारी नौकरी की बात कही है। इसके साथ ही पत्रकारों के अन्य संगठनों ने भी सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है।