विकास बाजपेयी
आखिरकार बहुचर्चित कमलेश तिवारी हत्या के दोनों आरोपियों के पुलिस के हत्थे चढ़ने की सूचना पुलिस सूत्रों के माध्यम से प्राप्त हो रही है। निशंक न्यूज़ के विस्वस्त सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश और गुजरात की #ATS की टीम के संयुक्त और सूचनाओं के आदान प्रदान के बाद पुलिस को ये महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल होने की सूचना है, वैसे तो अभी तक इस मामले में न तो उत्तर प्रदेश पुलिस और न ही गुजरात की एटी एस ने इस गोरफ्तारी कि कोई आधिकारिक घोषणा की है। लेकिन प्राप्त जानकारी के मुताबिक हत्या के आरोपी अशफ़ाक़ और मोइनुद्दीन को गुजरात ए टी एस की टीम ने राजस्थान और गुजरात बॉर्डर से गिरफ्तार किया है और इसकी सूचना मिलते ही प्रदेश की पुलिस की बड़ी टीम अशफ़ाक़ और मोइनुद्दीन से मिलने मौके पर रवाना हो चुकी है।
बताते चले कि कमलेश तिवारी हत्या कांड के बाद हिंदूवादी संगठनों की नाराजगी झेल रही योगी सरकार में पुलिस अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हो दोषियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी का आदेश दिया था।
प्रदेश पुलिस प्रमुख ओम प्रकाश सिंह ने इस मामले के पटाक्षेप के लिए तेज तर्रार अधिकारियों की 10 टीम बनाई थी और ये सभी टीम कोऑर्डिनेशन के साथ अशफ़ाक़ और मोइनुदीन की खोज में जुटी थी। कानपुर स्टेशन में ये दोनों शातिर उद्योग नगरी से पहुँचे थे और ट्रेन से उतरने के पास ही के रेलबाजार मार्केट से इन्होंने खुद की आईडी से सिमकार्ड खरीद था। और फिर टैक्सी के माध्यम से ये होटल खालसा इन् में पहुँचे । होटल से इनके कमलेश के ख़ुर्शीदबाद निवास में पहुचने के पुलिस की टीम को 22 फुटेज मिले थे। जिसके आधार पर इनकी लोकेश और शिनाख्त भी की गई थी । वही ये किसी स्थानीय व्यक्ति की मदद से ये पलिया से टैक्सी की मदद से शाहजहांपुर में गए जहाँ इनको फिर से सीसीटीवी फुटेज में पाया गया। हालांकि इन दोनों ने नेपाल बॉर्डर से भारत छोड़ने का प्रयास किया लेकिन कड़ी सुरक्षा के कारण वो सफल नहीं हो सके थे। पुलिस की 10 टीमें इनकी खोज में लगी थी तो एक एसपी क्राइम लखनऊ की 5 सदस्यीय टीम सूरत में रहकर पुलिस से इस बावत जायजा ले रही थी।
लखनऊ के चर्चित इस काण्ड की परत दर परत खोलने के साथ हत्यारों की शीघ्र धरपकड़ के लिए पुलिस की सभी टीमें जबरदस्त हाथ पैर मारती दिखाई दे रही थी। पुलिस की सभी टीमें इस बात का सुराग लगाने के लिए हर वो पहलू तलाश रही है जिसमे ये इनपुट मिल रहा है कि आखिर किस जगह से हत्यारों को कौन और किसलिए मदद कर रहा है।
इसी क्रम में पुलिस की एक टीम मुस्तैदी से कानपुर के रेलबाजार क्षेत्र में खोजबीन कर रही है कि आखिर किसने इन हत्यारों को मदद उपलब्ध कराई है। कानपुर शुरू से साम्प्रदायिक हिंसा के लिए अतिसंवेदनशील श्रेणी में आता है और उन लोगों की भी पहचान होती रही है जो साम्प्रदायिक तनाव के लिए स्लीपर सेल की तरह काम करते रहे है। इसी को देखते हुए संवेदनशील कमलेश तिवारी हत्याकांड के लिए गठित टीमों में से एक ने शहर में डेरा डाल दिया है और दोनों हत्यारों अशफाक और मोइनुद्दीन के विषय मे जानकारी उपलब्ध कराने के लिए ताबड़तोड़ बैठके की जा रही है। पुलिस ने रेलबाजार और स्टेशन के आसपास के घने इलाको में दो हत्यारोपियों के फोटो चिपकाए जा रहे है और लोगों से इस बारे में पूरी जानकारी एकत्र की जारही है । कि आखिर किसकी मदद से दोनों ने सिमकार्ड रेलबाजार की दुकान से खरीदा । पुलिस अधिकारियों का ये भी मानना है कि यदि शहर से इन दोनों को कोई मदद मिली थी तो क्या फिर से छुपने के लिए अशफाक और मोइनुद्दीन कानपुर आ सकते है।
अंतिम बार दोनों को शाहजहांपुर में स्टेशन रोड और अश्फाकनगर पुलिस चौकी रोड के पास एक सीसीटीवी फुटेज में पाया गया था जब ये स्टेशन पर ट्रेन की टाइमिंग का पता करने गए थे।
सूत्रों की माने तो इन दोनों शातिरों को गुजरात से एक फोन कॉल के बाद टैक्सी में पलिया से शाहजहांपुर के लिए रवाना किया गया था। पुलिस के अधिकारी इस बात पर भी मंथन कर रहे है कि कहीं इन दोनों को गुजरात से किसी तरह की मदद मिल रही है और क्या ये दोनों एक बार फिर उसी मदद के सहारे शहर में दाखिल हो सकते है। देश के बाहर जाने वाले रास्तों पर पहले ही कड़ी सुरक्षा कर दी गई है।