प्रभात त्रिपाठी
निशंक न्यूज़ nishanknews.com
अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद (Ayodhya Ram Mandir- Babri Masjid Land Dispute) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने केंद्रीय मंत्रियों से इस मुद्दे पर अनावश्यक बयान देने से बचने के लिए कहा है. प्रधानमंत्री ने मंत्रिपरिषद से कहा है कि अयोध्या पर फैसला आने की उम्मीद है और ऐसे में देश में सौहार्द का माहौल कायम रखना हमारा कर्तव्य है.
जानकारी के मुताबिक मंत्री परिषद की बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने ये नसीहत देते हुए कहा । प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा कि फ़ैसले के बाद सौहार्द का वातावरण बनाए रखने में मदद करें और कोर्ट के फैसले का सम्मान करें.ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नंवबर को रिटायर हो रहे हैं ऐसे में वह इससे पहले ही अयोध्या पर फैसला सुना सकते हैं.

इन सब घटना क्रम से इतर RSS-BJP ने भी एक बैठक की है और क्योंकि संघ और भारतीय जनता पार्टी इस मामले के अगुआ कार रहे है इसलिए इस बैठक का महत्व और भी बढ़ जाता है। बैठक में इससे पहले अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाने के लिए आरएसएस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मुस्लिम समुदाय के मौलवियों और बुद्धिजीवियों के साथ मंगलवार को एक बैठक आयोजित की. बैठक में भाग लेने वालों ने सामाजिक समरसता और एकता बनाए रखने पर जोर दिया !
बैठक में कहा गया कि अदालत के फैसले को लेकर न तो ‘जुनूनी जश्न’ होना चाहिए और न ही ‘हार का हंगामा.’ इस मामले में एक संवेदनशील रुख अख्तियार करने की जरूरत है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर हुई इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता कृष्ण गोपाल और रामलाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव महमूद मदनी, शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद, फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली और बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के प्रमुख सदस्य शामिल हुए.
बैठक में शामिल लोगों ने रखी ये बात
बैठक में मौजूद लोगों ने सामाजिक-सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा करने और उसे मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई. उन्होंने कहा कि सभी दशाओं में देश में भाईचारे और एकता को बनाए रखा जाएगा. बैठक में शामिल होने वालों ने उन तत्वों से सावधान रहने के लिए आगाह किया जो अपने निहित स्वार्थों के लिए समाज के सौहार्द और एकता को नुकसान पहुंचाने की साजिश कर सकते हैं!
बैठक के बाद नकवी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘आज एक ऐतिहासिक वार्ता हुई जिसमें मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मौलवियों ने भाग लिया. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि देश में सभी परिस्थितियों में एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए सभी संभव प्रयास किये जाने चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कहीं पर भी जीत का जुनूनी जश्न और हार का हाहाकारी हंगामा नहीं होना चाहिए, उससे बचना चाहिए.’’
सूत्रों के अनुसार आरएसएस नेता गोपाल ने बैठक में मौजूद लोगों से पूछा कि क्या यह जरूरी है कि मुसलमान, मुसलमानों का नेतृत्व करें और हिंदू, हिंदुओं का नेतृत्व करें.
बैठक में मौजूद अन्य लोगों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमल फारुकी, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, हज समिति के पूर्व अध्यक्ष क़ैसर शमीम, जेएनयू के प्रोफेसर अब्दुल नफी और अखिल भारतीय सूफी सज्जादा नशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती शामिल हैं.