मुगालते में न मारे जाएं आप के चाणक्य
दिल्ली की जंग
केजरीवाल ने अपनी तिकड़ी को सौंपी चुनाव की चाभी
पीके के अड्डेबाजों को किया किनारे,प्रचार से किया अलग
योगी की सक्रियता ने बढ़ाई आप के रणनीतिकारों की चिंता
अनीता सरस वाजपेयी
कानपुर, भाजपा व आप के लिये नाक की लड़ाई बनी दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने की जंग अब निर्णायक मोड़ पर आने लगी है। चुनाव प्रबंधन का काम करने वाले जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) पर हमले के सहारे दिल्ली व बिहार के चुनाव को निशाने पर रखने की भाजपा के चाणक्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति का असर भी दिल्ली के चुनाव में दिखने लगा है। पीके से नितीश कुमार की नाराजगी को अपने पक्ष में भुनाने की मंशा से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में आप के चुनाव के प्रबंधन के काम से पीके को काफी हद तक अलग कर दिया है। पीके के अड्डेबाज भी कम कर दिये गये है। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने अपनी रणनीति पर जमीनी स्तर पर काम करने की जिम्मेदारी अपनी तिकड़ी केजरीवाल, संजय सिंह व सिसौदिया के बीच केंद्रित कर ली। मतदान के चार दिन पहले दिल्ली के लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई है कि ऐसा न हो कि आम आदमी पार्टी (आप) के चाणक्य मुगालते में मारे जाएं और चुनाव परिणाम शुरुआती चुनावी सर्वे से उलट हो जाएं।
भाजपा के चाणक्य ने चला था दांव

दिल्ली चुनाव को लेकर शुरुआती सर्वेक्षण के बाद भाजपा के चाण्कय ने दांव चला था कि बिहार विधानसभा के पिछले चुनाव में जेडीयू के नितीश कुमार तथा पंजाब विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के अमरिंदर सिंह के साथ रहकर चुनाव जीतने की भाजपा की इच्छा पर पानी फेरने वाले चुनाव प्रबंधक पीके के दिल्ली चुनाव में किसी तरह आम आदमी पार्टी से अलग- थलग किया जाए क्योंकि आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रबंधन का काम देख रहे पीके भाजपा की हर रणनीति से पूरी तरह बाकिफ थे क्योंकि 2014 का लोक सभा चुनाव पीके के चुनावी प्रबंधन में ही भाजपा लड़ी थी और प्रचंड बहुमत हासिल कर केंद्र में सरकार बनाने में सफल हुई थी। राजनीति के जानकारों की मानी जाए तो भाजपा के चाणक्य का निशाना बिहार विधानसभा चुनाव पर भी था जहां नितीश व पीके की जोड़ी उनके लिये समस्या बन सकती थी। भाजपा के चाणक्य अपनी रणनीति में सफल भी हो गए।

केजरीवाल ने प्रचार में कम किया पीके का हस्तक्षेप
जानकारों की मानी जाए तो शुरुआती सर्वेक्षण में दिल्ली में आम आदमी पार्टी को काफी ज्यादा सीटे मिलने की सूचनाओं और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार व पीके के बीच तल्खी को देखते हुए कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के काम में टीम पीके के हस्तक्षेप कर दिया है। जानकारों का कहना है कि ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि दिल्ली में पूर्वांचल का वोट कई सीटों पर निर्णायक है और केजरीवाल की तिकड़ी यह चाहती है कि नितीश व पीके के बीच चल रही राजनीतिक तनातनी का असर आप को मिलने वाले वोट पर न पड़े। वैसे तो ऐसा पूर्वांचल के वोटों को साधने के लिये किया गया है लेकिन इस बात से बिहार में नितीश से नाराजगी रखने वाले मतदाता नाराज भी हो सकते हैं। फिलहाल अरविंद केजरीवाल की तिकड़ी ने आम लोगों को बीच अड्डेबाजी करने वाले टीम पीके के लोगों की संख्या कम कर दी है। पहले हर विधान विधानसभा में टीम पीके के लगभग दो दर्जन लोग सक्रिय थे अब यह संख्या घटाकर दो से पांच तक ही कर दी गई है और पीके को साफ कहा गया है कि वह केवल रणनीति बनाए इसपर अमल आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता करेंगे वह भी सांसद संजय सिंह व दिल्ली सरकार में मंत्री रहे सिसौदिया की रणनीति के हिसाब से।
योगी से घबराई अरविंद की सेना

यूपी में गंगा यात्रा के कार्यक्रमों से फुरसत पाने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ की दिल्ली चुनाव में सक्रियता ने अरविंद केजरीवाल की सेना को परेशान कर दिया है। योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर के साथ ही पूरे पूर्वांचल में काफी प्रभाव है और उनका फायरी संबोधन भी दिल्ली के मतदाताओं को भाजपा की तरफ खींच सकता है। इससे परेशान आप के चाणक्य चुनाव के अंतिम चरण में योगी को दिल्ली चुनाव में प्रचार से रोकने के लिये पूरी तैयारी और मजबूती से चुनाव आयोग की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
आठ फरवरी को होना है मतदान

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिये आठ फरवरी को मतदान होना है। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 67 सीटों पर चुनाव जीतकर सरकार बनाने में सफल रही थी। इसके कुछ समय पहले ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर केंद्र में सरकार बनाई थी लेकिन दिल्ली विधानसभा का चुनाव हारने के बाद से ही भाजपा पूरी ताकत लगाए है किसी तरह दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीतकर यहां अपनी सरकार बनाई जा सके। भाजपा के दिग्गज इस विधानसभा चुनाव को मूंछ की लड़ाई मान रहे हैं। 7��i�
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