पवार की शरण में भाजपा, सांसद पहुंचे घर

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भाजपा के सामने नाक बचाने की चुनौती

सही निकला निशंक न्यजू का आंकलन

वन मैन आर्मा बनकर उभरे शरद पंवार

अनीता वाजपेयी

निशंक न्यूज कानपुर

निशंक न्यूज  राजनीति में पार्टी पर प्रभाव को लेकर चाचा भतीजे के बीच राजनीतिक जंग होने की घटना कोई नई नहीं है। महाराष्ठ में तो पिछले तीन दिनों से यह लड़ाई शुरू हुई सबसे बड़ी विधानसभा वाले उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई काफी दिनों से चल रही है और अब तो भतीजे से पिछड़ चुके चाचा समर्पण तक की बात करने लगे हैं। वह यह भी कह चुके हैं कि अगर परिवार एक हो तो भतीजा ही मुख्यमंत्री बनेगा दूसरी तरफ महाराष्ट में भतीजे की हरकत से नाराजा चाचा ने कुछ घंटे के भीतर ही ऐसा दांव चला कि डिप्टी सीएम की शपथ लेने वाला भतीजा चारो खाने चित हो गया। इस दांव के बाद सरकार बनाने वाले भाजपा भी बैकफुट आ गई है और अपनी नाक बचाने के लिये मराठा शरद पवार की शरण में जाने की तैयारी कर रही है। शरद पवार के गुस्से को शांत कराकर अपना फैसला साबित करने के लिये पंवार के कुछ सांसदों को लगाया गया है जो दूत बनकर शरद पंवार के सामने भाजपा की बात कर रहे हैं ताकि कैसे भी हो उन्हें अपने पक्ष में कर शिवसेना को सबक सिखाया जा सके। थाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तथा आम जनता के बीच चर्चा में बने महाराष्ट के सियासी घमासान के बीच रविवार को भाजपा के एक सांसद ने सुबह-सुबह शरद पवार के घर जाकर मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई यह तो सामने नहीं आया लेकिन राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि भाजपा सांसद ने अपने तरफ से कुछ प्रस्ताव देकर शरद पंवार को मनाने का प्रयास किया कि वह अजीत के प्रति अपने गुस्से को छोड़कर किसी तरह प्रदेश में शिवसेना की सरकार बनने से रोंके अगर वह शांत हो गये तो सदन में भाजपा बहुंमत साबित कर लेगी। रातो-रात हुए खेल के बाद सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा ग्ह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह से देवेंद्र फणनवीस को मुख्यमंत्री बनने की बधाई दी उसके बाद यह माना जाने लगा है कि अगर भाजपा सदन में बहुंमत साबित न कर सकी तो इन दोनों नेताओं की भी आम लोगों के बीच किरकिरी हो सकती है जो भाजपा के लिये आने वाले समय में बेहतर नहीं साबित होगा।

भतीजे को किया चित

महाराष्ट में एनसीपी का प्रभाव है और पिछले कुछ समय से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि इसके संस्थापक शरद पंवार अपनी उम्र व सेहत के चलते राजनीतिक गतिविधियों से किनारा करने वाले हैं। इसके बाद से ही शरद पंवार से राजनीतिक गुर सीखने वाले उनके भतीजे अजीत पंवार के मन में राजनीतिक हिचकोले मारने लगे थे कि चाचा के बाद ही एनसीपी को संभालेंगे लेकिन इससे इतर शरद पंवार अपनी पुत्री को राजनीतिक विरासत देना चाहते थे जिसके चलते अजीत ने विधानसभा चुनाव के पहले से ही संगठन के भीतर अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी थी और वह चाहते थे कि जितनी जल्दी हो वह अपने चाचा शरद पंवार के राजनीतिक प्रभाव से बाहर आकर अपनी पहचान को राजनीतिक स्तर पर बहुंत मजबूत कर सकें। माना जा रहा है कि अजीत की इसी मनास्थिति का लाभ उठाकर भाजपा ने एक चाल चली और पहले से छटपटा रहे अजीत ने अपने चाचा को ही दांव देने की तैयारी कर ली, लेकिन भतीजे द्वारा इस तरह से पार्टी पर प्रभाव जमाने के तरीके से नाराज राजनीति के बेहतरीन खिलाड़ी शरद पंवार ने ऐसा दांव चला कि भतीजा चारो खाने चित हो गया और भाजपा भी नहीं समझ पा रही है कि अब वह क्या करें और कैसे शरद पंवार को मनाकर अपने खेल को आसानी से पूरा कर महाराष्ट में सत्ता का एक बार फिर कब्जा कर सके।

निशंक न्यूज का सही निकला आंकलन

महाराष्ट में विधानसभा चुनाव के दौरान ही निशंक न्यूज ने राजनीतिक आंकलन के आधार पर दावा किया था कि शरद पंवार महाराष्ट्र की राजनीति में वन मैन आर्मी बनकर चर्चित हो रहे हैं कुछ भी हो सरकार बनने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी और आगे भी वह कांग्रेस के पीछे छोड़ मुख्य दल के रूप में महाराष्ट्र में अफनी पार्टी (एनसीपी) को स्थापित करने में सफल हो सकते हैं। निशंक न्यूज का आंकलन सही निकला एनसीपी ने चुनाव में भाजपा शिवसेना के बाद सबसे ज्यादा सीट भी हासिल कीं और इसके बाद कांग्रेस को उसके पीछे चलना पड़ रहा है। राजनीति के बदले हालातों में हर दल शरद पंवार के इर्द-गिर्द है वह जिस तरह बढ़ेंगे सरकार उसकी ही बनेगी।