शैलेश अवस्थी
देश का आम बजट आ गया, लेकिन कानपुर के लिए इसमें कुछ विशेष नहीं दिखा। अलग से कुछ भी नहीं। न तो कानपुर में सार्वजनिक क्षेत्र की बंद मिलों के लिए कोई जिक्र है और न ही औद्योगिक स्वरूप को खड़ा करने की कोई विशेष योजना।
कानपुर की आबादी 50 लाख पार है, लेकिन उस हिसाब से यहां सुविधाएं नहीं हैं। पिछले 30 साल पर नजर डाली जाए तो कानपुर को कुछ ओवरब्रिज मिले और कुछ ट्रेनें। ट्रेनें बढ़ीं, कुछ ट्रेनों के फेरे बढ़े, लेकिन सेंट्रल स्टेशन पर सुविधाओं ने आकार नहीं लिया। गर्मी में पीने के पानी के लिए हाहाकार मचता है तो सर्दी में यात्रियों को ठंड से बचाने के लिए मुकम्मल इंतजाम नहीं हैं। अभी तक सभी चोर दरवाजे भी बंद नहीं किए गए, जिनके जरिए कर चोरी का माल बाहर कर दिया जाता है। खास बात कि यहां सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
गोविंदपुर स्टेशन के कायाकल्प का काम भी पूरा नहीं हो सका और जूही यार्ड (पुराना स्टेशन) भी विकसित नहीं किया जा सका है। कानपुर स्टेशन के साथ शहर की कई क्रासिंगों पर भी लोड बढ़ रहा है। जीटी रोड की कई क्रासिंग तो 24 घंटे में 17 बार तक बंद करनी पड़ जाती हैं। तब ट्रैफिक जाम के कारण जनता के वक्त के साथ वाहनों का ईंधन भी बर्बाद होता है। योजना थी कि अनवरगंज से मंधना तक रेलवे लाइन बंद कर इसे डाईवर्ट कर दिया जाए। कई बार सर्वे हुआ पर काम अभी तक नहीं शुरू हो सका।
यहां गौर करने वाली बात है कि सीओडी पुल बनने में 12 साल लग गए और अभी भी इस पर कुछ काम बाकी है। इसका दूसरी लेन का उद्घाटन सतीश महाना ने 26 जनवरी को कर दिया तो सांसद सत्यदेव पचौरी बिफर पड़े। उन्होंने सड़क परिवहन मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर घोर आपत्ति जताई और उसके बाद यह पुल फिर बंद कर दिया गया। तय हुआ कि सड़क और रेलिंग का काम पूरा होने के बाद इसका लोकार्पण सड़क परिवहन मंत्री आरके सिंह विधिवत करेंगे। श्रेय लेने की होड़ में जनता कोई दिक्कत हो रही है। कल बजट आया है, लेकिन कानपुर के लिए कोई खास नहीं है। रेलवे एक हफ्ते के भीतर पिंक बुक जारी करेगा, जिसमें बताया जाएगा कि इस बजट में कानपुर रेलवे को क्या मिला। कानपुर के लिए आम बजट में कोई खास प्राविधान नहीं दिख रहा। न तो विकास के लिए कुछ अलग पैसा दिया गया और न ही नए निर्माण का जिक्र है। हां, कानपुर के चमड़ा उद्योग को कुछ राहत जरूर है, लेकिन वह पूरे देश के चर्म उद्यमियों के लिए है। आयात शुल्क 35 से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया है। जाहिर है कि उत्पादन लागत कम हो जाएगी और निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा।
कानपुर जैसे बड़े शहर को विकास की दरकार है। बड़े सरकारी उद्योग बंद हो गए लेकिन निजी छोटे और मझोले उद्योग बढ़े हैं। जरूरी है कि कानपुर के औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए कोई बड़ी योजना बने। वहां सड़क, बिजली और पानी के मुकम्मल इंतजाम हों। मजदूरों के रहने के मुकम्मल इंतजाम हों ताकि उनका जीवन स्तर ऊपर उठे। कारोबारियों के लिए सुविधाएं भी बढ़ाई जाएं। कानपुर में कपड़ा, गल्ला, मेवा, मसाले का बड़ा थोक कारोबार है। रिटेल सर्ऱाफा कारोबार का हब है कानपुर। लेकिन इस बार बजट में कुछ खास नहीं मिलने से कानपुर मायूस ही है। लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं…।