गलती हो तो स्वीकार लो न हो तो पूरी बात रखो

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हम लोगो का जीवन ही ऐसा हैं की तमाम प्रयास करने के बाद भी गलती हो हे जाती हैं लेकिन इस बात का हमेशा ध्यान रखे की अगर गलती हो तो उसे स्वीकार करने से कोई छोटा नही हो जाता बल्कि इसे सुधारने से संतुस्ती ही मिलती हैं इस लिए अगर गलती हो जाये तो इसे कोई तर्क दिए बगैर स्वीकार कर इसे सुधरने का प्रयास करे लेकिन अगर आपकी गलती नही हैं तो सामने वाला कोई  भी हो उसके दबाव में ना आये और अपनी पूरी बात  जोरदारी से रखे अगर  आप अपना पक्ष भी नही रख सकेगे तो लम्बे समय तक यह बात आपको कुरेदती रहेगी की आप अपनी बातर भी नही राखज सके और बेवजह की जलालत झेलनी पड़ी