विकास वाजपेयी
कानपुर शहर पूरे देश में अलग ही मिज़ाज रखता है। अपने शहर का रसूख बड़े बड़े भौकालियों की हवां टाइट कर देत है। अब जरा कल्पना करिए कि मजदूरी और काम धंधे में पूरे प्रदेश में चौकस जगह बनाने वाले गंगा किनारे बसे शहर का कोई छोरा जब फिल्मी पर्दे पर कदम रखेगा तो माजरा क्या होने वाला है। “ पहचान तो गए हुइहो” , अरे कानपुर के अन्नू अवस्थी मशहूर टीवी सिरियल “भाभीजी घर पर हैं “ में सोमवार से कनपुरिया तड़का लगाने जा रहे है।
अलग अंदाज और अलग शैली कनपुरिया भाषा से देश-विदेश में झंडे गाढ़ने वाले अन्नू भइया अन्नू अवस्थी शुरू से मस्तमौला तबियत के चबूतरेबाज़ रहे हैं और अपनी चुहुलबाजी और मजाकिया अंदाज से चर्चा में बने रहे है। राजू श्रीवास्तव के कनपुरिया स्टाइल के चुटकलों के बाद यदि कनपुरिया भाषा को किसी मंच तक पहुचाने का किसी ने काम किया है तो उसमें अन्नू अवस्थी का नाम सर चढ़ कर बोल रहा हैं। यही कारण है कि कानपुर की शैली और परिदृष्य में डाँयलागबाजी से मशहूर हुए एण्ड़ टीवी पर आने वाले भाभी जी घर पर हैं सीरियल में सोमवार से अन्नू अवस्थी के “ उड़ते तीर “ लेने को अब आप भी तैयार रहिए।

सीरियल में अन्नू का किरदार मनमोहन तिवारी के मामा का है और इसमें वो विशुद्ध नाड़ा लटकते पटरेवाले कच्छाधारी मामा का रोल निभा रहे हैं। अब वैसे भी कानपुर में अच्छा खाना और रंगबाजी से रहना भौकाली लाइफ स्टाइल में शुमार है तो अन्नू भी पूरे सीरियल में चाहे हप्पू सिंह हो या फिर विभू यानी विभूती नरायण मिश्रा सब पर भौकाल गाठते ही नजर आने वाले हैं। यही नहीं सबको ये नसीहत भी दे रहे हैं कि उड़ता तीर लेने की आदत छोड़ो ( वैसे ये उड़ता तीर न लेना है क्या कनपुरिया जनता बेहतर जानती है ) नहीं तो पछतहिओ। अन्नू अवस्थी का कहना है कि सेट का महोल वैसे तो पहले से ही कनपुरिया भाषा की थीम पर रहा है लेकिन झकरकटी मोहल्ले के अलावा उन्होनें इसमें रेलबजार बर्रा किदवईनगर जैसे कई और कनपुरिया मोहल्लों के नाम जोड़े हैं।

लड़के के जनेऊ वाले एक अडियों से एका एक लोगो की जेहन में उतरे अन्नू अवस्थी लड़कपन से ही चुहुलबाज़ और चबूतरेबाज़ रहे हैं। अन्नू कहते है कि कानपुर के महौल को और यहाँ की भाषा को समझना है तो चबूतरेबाजी से ही पकड़ सकते हो और नए नए शब्दों की समझ के साथ नए शब्द भी यहां की डिक्सनरी में शामिल होते हैं। चबूतरेबाजी कनपुरियों की वो विशिष्ठ भाषायी शैक्षिक डिग्री है जो घर के बाहर बने चबूतरों में बैठकर उम्दा किस्म के लफ्फाज़ बुजुर्गों की संगत से प्राप्त होती है और फिर कोई होनहार कनपुरिया उन शब्दों को अपनी योग्यता के मुताबिक चुहुलबाजी के उपयोग में लाता है। उड़ता तीर, उड़ती बल्ली, पड़ी लकड़ी, खामखा सुलगाना, भैइया की गणित, अबे टोपीलालवा, बकलोल, महीन चूड़ी का, भूतनी का, हौ पूरे वही जेमा आवत है दही, जैसे शब्द जैसे ही कान में पड़े तो समझ जाओ की ये विशेष प्राणी कानपुर की धरती से है। खैर आप भी मजा लीजिए अन्नू अवस्थी के अंदाज में भाभीजी घर पर हैं सीरियल का और अन्नू अवस्थी के अंदाज में कहें तो “ गुरू अब बहुत तेजी से निकल लेव “ कनपुरिया अंदाज का लुत्फ लेने के लिए।