विकास वाजपेयी
सतारा के लोकसभा उपचुनाव की वो रैली आज भी सबके ज़ेहन में तरोताज़ा है जब बारिस में भीगते हूए 79 साल के एक मंझे हुए खिलाड़ी ने कइयों की रातों की नींद हराम कर दी थी। वो बारिस में भीगते हुए भाषण देने का वीड़ियों खूब वायरल हुआ था। यही नहीं उसका परिणाम आया तो लोगों को फिर से कहना पड़ा कि महाराष्ट्र की राजनीति का ये शेर अभी बूढ़ा नहीं हुआ है। जी हा शरद पवार, बात उसी शेर की जिसने अपने गुरू बसंत राव साठे को भी राजनीति में मात देकर कदम आगे बढ़ाए थे और अपनी सधी हुई चालों से आज फिर चर्चा में हैं। तीन दिनों का ड्रामें के बाद एक बार फिर शरद पवार की कूटनीति और राजनैतिक सूझबूझ ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से अततः बेदखल कर दिया है।
एक बार फिर से शरद पवार के इस अंदाज ने भारतीय जनता पार्टी के दिग्गजों को यह सोचने को मजबूर कर दिया कि दुबारा बिना संख्याबल के सरकार बनाने का उनका फैसला कितना जायज था। सारे खेल को शरद पवार की कूटनीति ने हासिए पर ढ़केल दिया है। जहाँ सुबह भोर देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो 80 घंटे के बाद उनको मंगलवार की शाम होते होते इस्तीफे का ऐलान करना पड़ा।
तीन दिन पहले तक चारों तरफ यही शोर सुनाई दे रहा था कि अब महाराष्ट्र की राजनीति से शरद पवार का अंत होने को है, लेकिन महाराष्ट्र की बाजी एक बार फिर शरद पवार के हाथों में है। ये बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि अपने दम और राजनीतिक धार के बलबूते शरद पवार ने प्रदेश के विधान सभा चुनावों में एनसीपी को 54 सीटों के आकड़े तक पहुंचाया। जिस समय कांग्रेस में राहुल गांधी जैसे युवा सिर्फ 5 रैली कर सके और सोनियां गांधी और प्रियंका वाड्रा ने एक भी चुनावी रैली नहीं की थी उस समय 79 साल कि उम्र में शरद पवार ने सबको ये सोचने को मजबूर कर दिया कि आखिर वो क्षत्रप क्यों कहे जाते है।
एनसीपी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए छत्रपति शिवाजी महाराज के वंसज उदयन राजे भोसलें जब फिर से सतारा से चुनाव मैदान में कूदे तो किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी कि उनकी इतनी बुरी शिकस्त होगी। यहीं नहीं बारामती से अजीत पवार की रिकार्ड़ मतों से जीत में भी शरद पवार का राजनैतिक कौशल और इस उम्र में ताल ठोकने का जज्बा ही काम आया।
राजनीतिक पंडितो को धता साबित करते हुए महाराष्ट्र की सत्ता की चाबी इस समय भी शरद पवार अपने हाथों में लिए दिखाई दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के बड़े बड़े धुरंधरों को धूल चटाते हुए शरद पवार ने उस आशंका को खत्म कर दिया है जिसमें पार्टी में फूट का खतरा मंडरा रहा था। अजीत पवार की घर वापसी की घोषणा के बाद शरद पवार फिर से सरकार में बाजीगर की भूमिका में रहेंगे।