विकास वाजपेयी
कानपुर : रविवार की रात पूरे देश क्या दुनियां में दीवाली के पर्व की धूम थी जैसे सभी दीवाली के उजाले में जिंदगी के अंधियारे को खत्म करके दिये जला रहे थे ठीक उसी समय लोगों को दीन दुनियां की जानकारी देकर एक निजी न्यूज़ पोर्टल में कार्यरत पत्रकार जैसे ही अपने घर पहुचा तो घर का माहौल कुछ बदला बदला सा नजर आया। उसकी पत्नी रोली ने जल्दी से उसको घर के अंदर घसीटा, लेकिन नशे में चूर उसके दो भाइयों ने उसको पकड़ कर गाली गलौज और मारना पीटना शुरू कर दिया। किसी तरह जो लोगों को मुसीबत से निकलने के लिए संघर्ष करता है रविवार को खुद बचता बचाता रायपुरवा थाने पहुचा और पुलिस को मामले की पूरी जानकारी दी जान के खतरे की बात बताई लेकिन पुलिस तो पुलिस ठहरी जो योगी जी की बात को भी अनसुना करदे उसके लिए पत्रकार क्या है।
हालांकि जमीन और जायदाद के लिए सगे भाई के खून के प्यासे कहाँ मानने वाले थे उनके दिमाग मे तो शैतान सवार था। किसी तरह दीवाली की रात पत्रकार विजय गुप्ता और उसके परिवार की अंधेरे में बीती और उनको भी लगा कि भाइयों का गुस्सा अब शांत हो गया है तो विजय रोज की तरह फिर से काम मे लग गया। उधर शातिर दिमाग भाइयों ने अपने एक साथी के साथ मिलकर कुछ बहुत ही भयानक सोच रखा था।
परिवा की रात पत्रकार जैसे ही घर के पास पहुचा उसके दो बड़े भाई मनोज और राकेश ने उसको अपने एक साथी रिजवान के साथ घेर लिया और जब लोग आपने घरों में परिवा मना रहे थे भाई विजय को पहले जमकर पीटा । विजय अकेला था लेकिन उसने सबसे काफी देर तक संघर्ष किया । पकड़ ढीली पड़ती देख मनोज ने विजय के सीने से सटाकर दो नाली बंदूक से हमला बोल दिया और विजय वहीं गिर गया । तीनो ने जब उसकी मौत की पुष्टि कर ली तो वैगनआर गाड़ी में भर कर उसको उन्नाव के सुनसान में फेंक दिया।
इस पूरे मामले का खुलासा जब हुआ जब विजय की पत्नी ने एक बार फिर रायपुरवा थाने में पति की घुमसूदगी की बात बताई और दीवाली वाले दिन के झगड़े की तहरीर दिखाई।
पुलिस को छानबीन में थाने के अंतर्गत एक सीसीटीवी फुटेज में वेगनआर कार और उसमें सवार भाई दिखाई पड़े । पुलिस ने इस दिशा में काम करना शुरू किया और दोनों भाइयों से अलग अलग पूछताछ की तो उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया। दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है साथ ही उनके साथी रिजवान को भी तलाशा जा रहा है। वहीं पुलिस की एक टीम दोनों की निशानदेही पर विजय की लाश बरामद करने उन्नाव की तरफ मंगलवार की शाम रवाना हो गई है।
इस पूरे मामले में जमीन विवाद जहाँ एक पहलू है वहीं पुलिस यदि दीवाली की रात हुई घटना पर थोड़ा सा भी ध्यान दे देती तो शायद विजय के साथ इस घटना को रोका जा सकता था। पुलिस की इतनी गंभीर लापरवाही से एक परिवार तो बर्वाद हो गया लेकिन अब उन दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ क्या कार्यवाही होती है जो ड्यूटी तो करते है लेकिन अपने फ़र्ज़ और वर्दी की लाज की चिंता नहीं करते।