प्रभात त्रिपाठी निशंक न्यूज़
कानपुर : क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसम्बर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था। 25 दिसम्बर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं हैं और लगता है कि इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति (शीत अयनांत) से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है। आधुनिक क्रिसमस की छुट्टियों मे एक दूसरे को उपहार देना, चर्च मे समारोह और विभिन्न सजावट करना शामिल हैं। इस सजावट के प्रदर्शन मे क्रिसमस का पेड़, रंग बिरंगी रोशनियाँ, बंडा, जन्म के झाँकी और हॉली आदि शामिल हैं। सांता क्लॉज़ (जिसे क्रिसमस का पिता भी कहा जाता है हालाँकि, दोनों का मूल भिन्न है) क्रिसमस से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक परंतु कल्पित शख्सियत है जिसे अक्सर क्रिसमस पर बच्चों के लिए तोहफे लाने के साथ जोड़ा जाता है। सांता के आधुनिक स्वरूप के लिए मीडिया मुख्य रूप से उत्तरदायी है।

क्रिसमस को सभी ईसाई लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे एक धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक उत्सव के रूप मे मनाते हैं। क्रिसमस के दौरान उपहारों का आदान प्रदान, सजावट का सामन और छुट्टी के दौरान मौजमस्ती के कारण यह एक बड़ी आर्थिक गतिविधि बन गया है और अधिकांश खुदरा विक्रेताओं के लिए इसका आना एक बड़ी घटना है।

दुनिया भर के अधिकतर देशों में यह २५ दिसम्बर को मनाया जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसम्बर को ही जर्मनी तथा कुछ अन्य देशों में इससे जुड़े समारोह शुरु हो जाते हैं। ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में क्रिसमस से अगला दिन यानि 26 दिसम्बर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। कुछ कैथोलिक देशों में इसे सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहते हैं। आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च 6 जनवरी को क्रिसमस मनाता है पूर्वी परंपरागत गिरिजा जो जुलियन कैलेंडर को मानता है वो जुलियन वेर्सिओं के अनुसार २५ दिसम्बर को क्रिसमस मनाता है, जो ज्यादा काम में आने वाले ग्रेगोरियन कैलेंडर में 7 जनवरी का दिन होता है क्योंकि इन दोनों कैलेंडरों में 13 दिनों का अन्तर होता है।
कई संस्कृतियों में एक सर्दियों का त्यौहार परंपरागत तरीके से मनाया जाने वाला सबसे लोकप्रिय त्योहार था। इसके वजा थी कम कृषि कार्य होता था

और उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दियों की उच्चतम शिखर होने के कारण लौमीद करते The की दिन लंबे और रात छोटी होगी संक्षिप्त मैं, क्रिसमस का त्यौहार पहेले के च्रुचों द्वारा मानना शरू किरु किया गया यह सूच के की इससे पगन रोमंस अपना धर्म बदल कर ईसाई धर्मअपना लें और साथ ही अपने भी सर्दियों के सारे त्यौहार मना लेंगे. कुछ देवी देवता जिसे उस पन्त के लोग मानते हैंउनका भी जनम दिन 25 दिसम्बर को मनाया जाता था। इसमे प्रमुख है इश्टर, बब्य्लोनियन गोद्देस्स ऑफ़ फेर्तिलिटी, लव, एंड वार, सोल इन्विक्टुस एंड मिथ्रास. आधुनिक युग के क्रिसमस मना के तर्रेके में उत्सव का आनद उठाने के साथ उपहारों का भी आदान प्रदान होता है। इसके अलावा आनद लेने के लिए रोमंस सतुर्नालिया ग्रीनरी, लायीट्स तथा रोमंस के नए साल की पवित्रता; और युले की लकडियों पे तरह-तरह के पकवान बनते हैं जो तयूटोंस फेअस्ट्स में शामिल थे। ऐसे परम्परा कहता हैं की निम्नलिकित सर्दियों के त्योहारों से प्रेरित है।