निशंक न्यूज़
विकास वाजपेयी
वैसे तो पुलिस के बारे में की जाने वाली चर्चा उनकी बुराई पर ही समाप्त होती है लेकिन शुक्रवार की सुबह से पूरे देश में एक वर्दीधारी की चर्चा केवल बधाई देने के लिए ही हो रही है। आईपीएस वीसी सज्जनार वो नाम है जिसके बारे में क्या टेलीवीजन और क्या इंटरनेट लोग जानने के लिए उतावले हैं। वीसी सज्जनार वो शख्स है जिसने हैदराबाद के प्रियंका रेड्डी केस में पकड़े गए चार अभियुक्तों के एनकाउंटर को अंजाम तक पहुंचाया। हलांकि ये जानना भी जरूरी है कि इस वरिष्ठ आईपीएस ने पहले भी इस तरह के एनकाउंटर को अंजाम तक पहुचाया है।
वीसी सज्जनार 1996 के आईपीएस अधिकारी हैं और तेलंगाना के मेंदक और वारंगल जिले में बतौर एसपी तैनात रहे हैं। हलांकि तैनाती के इसी दौरान हुए एक कांण्ड ने उस समय भी इनको लोगों के मसीहा और हीरो के रूप में जाना जाता रहा है। 2008 में जब सज्जनार साहब वारंगल के एसपी थे उसी समय वहां के एक इन्जीयरिगं कांलेज में दो छात्राओं पर एसिडअटैक की घटना हुई थी और इस मामले में पुलिस ने कांलेज के ही तीन छात्रों को गिरफ्तार किया था जिनपर आरोप था कि दोस्ती का अनुरोध ठुकराने के बाद गुस्से से बौखलाएं इन लड़को ने दो छात्राओं पर एसिडअटैक किया था।

कितनी समानता है वारंगल और हैदराबाद की वारदात में
एसिडअटैक में पकड़े गए तीनों अभियुक्तों को पुलिस सीन रिक्रिएसन के तहत घटना स्थल पर ले जा रही थी जहां इन तीनों ने घटना को अंजाम देने के लिए मोटरसाइकिल छुपा रखी थी। जैसे ही पुलिस इन तीनों को मोटरसाइकिल के पास ले गई तो पुलिस के मुताबिक इन लोगो ने मोटरसाइकिल में छुपाये हथियारों से पुलिस टीम पर धावा बोल दिया और पुलिस की जवाबी कार्यवाही में तीनों घटना स्थल पर ही ढेर हो गये।
कुछ इसी तरह की वारदात हैदराबाद केस में भी देखने को मिली।
तस्करों में था खौफ
वीसी सज्जनार जब मेंदक में एसपी थे उस समय जिले के तस्करों में उनका जबरदस्त खौफ था। बताते हैं कि मेंदक जिले में एक नामी तस्कर को भी एनकाउंटर में ढ़ेर कर दिया गया था और इस घटना के बाद जिले के तस्कर उनके नाम से थरथर कांपते थे।
कांपते थे नक्सली आतंकी
वीसी सज्जनार का जिस तरह तस्करों के गैंग में खौफ था उसी तरह नक्सलियों में भी जबरदस्त खौफ था। नक्सलियों के मूवमेंट पर उनकी जबरदस्त पकड़ थी और वो जानकारी एकत्र करने के माहिर माने जाते थे। स्पेशल इंटेलीजेंस ब्रांच के आईजी के तौर पर उनको नक्सलियों के विषय में जानकारियां मिलती थी और उसी के आधार पर एक रात सज्जनार की अगुवाई वाली टीम ने कुख्यात नक्सली प्रमुख नईमुद्दीन को घेर लिया और दोनो तरफ से हुई गोलीबारी में उसका खेल खत्म हो गया।