निशंक न्यूज।
उरई : शासन-प्रशासन के लाख दावों के बाद भी अन्ना मवेशियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। आटा कस्बे के तीन गांवों के किसानों की करीब सवा सौ बीघा फसल चौपट कर दी। सैकड़ों छुट्टा जानवरों के झुंड ने संधी, करमेर और चमारी गांव के अन्नदाताओं की चना, मसूर, मटर और सरसों की फसल चर ली। बाकी धमाचौकड़ी कर रौंद दी। सुबह बर्बाद फसल को देख चमारी गांव के किसानों ने आपा खो दिया और इलाके में घूम रहे डेढ़ सौ से ज्यादा जानवरों को हांक कर स्कूल परिसर में बंद कर दिया। प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। स्कूल में पहुंचे बच्चों व स्टाफ में अफरातफरी मच गई। बाहर से गेट में ताला लगा दिया गया, जिससे बाद में आए बच्चे वापस घर लौट गए। काफी देरतक चले हंगामे के बाद संकट मोचन चौकी पुलिस पहुंची। किसानों को समझाने की हर कोशिश नाकाम हो गई। सूचना के बाद भी समाचार प्रेषण तक शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा था। एसडीएम कौशल किशोर ने बताया कि सूचना मिली है, अभी रास्ते में हैं। अन्ना मवेशियों के लिए तत्काल कोई व्यवस्था कराई जाएगी।
करोड़ों खर्च के बाद भी जिले में छुट्टा मवेशियों का कहर जारी है। रोज ही कहीं न कहीं किसानों की फसल बर्बाद हो रही है। सर्दी के मौसम में रतजगा के बाद भी अन्नदाताओं की मेहनत जानवर चट कर रहे हैं। शुक्रवार की रात चमारी गांव के आसपास के खेेतों में बड़ी संख्या में अन्ना मवेशियों का झुंड घुस गया और फसल चट कर ली। करीब सवा सौ बीघा खेतों में लगी चना, मसूर, मटर, सरसों और अलसी की फसल बर्बाद हो गई। शनिवार की सुबह किसानों ने खेतों में घुसे अन्ना जानवरों को देखा तो पैरों तले जमीन खिसक गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट गए और मवेशियों को हांक गांव के स्कूल के परिसर में बंद कर दिया।

एक ही परिसर में दो विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र
चमारी गांव में एक ही परिसर में प्राथमिक विद्यालय व अंग्रेजी माध्यम का स्कूल होने के साथ आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है। सुबह करीब नौ बजे किसान छुट्टा जानवरों को लेकर पहुंचे, तब तक स्कूल में काफी बच्चे पहुंच चुके थे। नारेबाजी और हंगामा देख शिक्षक भी बाहर निकल आए लेकिन लोगों का तेवर देख मौन रहे। ग्रामीणों ने परिसर में मवेशी हांक गेट बंद कर दिया। बाद में जो बच्चे पहुंचे, उनको वापस भेज दिया गया। हालत यह रही कि परिसर में जानवर देख शिक्षकों ने बच्चों को कमरे से बाहर नहीं निकलने दिया। शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों को मामले की सूचना दी गई, लेकिन घंटों बाद तक कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। हंगामा की सूचना मिलने पर संकट मोचन चौकी इंचार्ज रामप्रकाश यादव फोर्स के साथ पहुंचे लेकिन एक किनारे खड़े रहे।
छुट्टी की मांग पर अड़े ग्रामीण
किसानों का कहना था कि अन्ना जानवरों से निजात के लिए जिम्मेदारों ने गांव में कोई गोशाला नहीं बनवाई है। छुट्टा जानवरों की वजह से संधी और करमेर गांव के कई किसानों की भी फसल चौपट हो गई। किसी गांव में कोई इंतजाम नहीं किया गया है। जब तक गोशाला निर्माण नहीं होता है, तब तक स्कूल की छुट्टी कराई जाए और जानवरों को यहीं पर रखा जाए।
इनकी फसल हुई बर्बाद
चमारी गांव निवासी रामबाबू द्विवेदी की 17 बीघा मसूर और गेहूं, सुरेंद्र दीक्षित की 13 बीघा मटर, महेश पालीवाल की चार बीघा मसूर, रजनू तिवारी की पांच बीघा मटर, प्रवेंद्र कुमार की पांच बीघा चना, सुघर सिंह की पांच बीघा मटर, वीरसिंह कुशवाहा की पांच बीघा मटर व चना, मंगल सिंह की 15 बीघा मटर, धर्मेंद्र अहिरवार की आठ बीघा मटर, गोपी अहिरवार की दो बीघा अलसी, शिवराम की पांच बीघा मटर, देवीसहाय की तीन बीघा मटर, नंदकिशोर की आठ बीघा चना, सुरेंद्र की चार बीघा चना, श्रीधर उपाध्याय की दो बीघा मटर और पांच बीघा सरसों और करमेर गांव के रामनरेश राजपूत की बीस बीघा गेहूं की फसल शामिल है। इसके अलावा कई किसानों की फसल रौंदने से बर्बाद हो गई।
बोले जिम्मेदार
सूचना मिली है। मौके पर पहुंचते ही अन्ना मवेशियों के लिए तत्काल अस्थायी व्यवस्था कराई जाएगी। लेखपाल से जांच कराकर किसानों को मुआवजा की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
कौशल किशोर, एसडीएम कालपी