रहस्य, रोमांच, कौतूहल से भरे महाराष्ट्र के “पॉलिटिकल सीन”
उद्धव भगवा भले ही पहनें, पर “धर्मनिरपेक्षता” तो अब सर्वोपरि
शैलेश अवस्थी
कल महाराष्ट्र में नई सरकार की शपथ के दौरान सबके मन में कई सवाल भी चल रहे थे। कौतूहल था, रहस्य था, रोमांच था, उत्सुकता थी और राजनीतिक पंडितों के गुणाभाग। जिस मैदान में कभी बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना की नीव रखी थी, वहां उद्धव ठाकरे शिवाजी की भव्य प्रतिमा के सामने चमकदार भगवा कुर्ता पहने धर्मनिरपेक्षता नई परिभाषा गढ़ रहे थे। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल कि दादा कहे जाने वाले अजित पवार का अब क्या होगा।
जाहिर है कि मान-मनुहार पर घर वापसी के बाद अब एनसीपी और नई सरकार में अजित पवार की भूमिका नए सिरे से बहुत सोच विचार कर तय की जाएगी। सात बार विधायक और कई बार ताकतवर मंत्री रह चुके अजित की भी इस सबसे रईस सूबे में पकड़ बन चुकी है। यही कारण है कि कल तमाम कार्यकर्ता और कुछ विधायक अजित दादा जिंदाबाद के साथ उन्हें महत्वपूर्ण ओहदे पर बैठाने की पुरजोर मांग कर रहे थे। इस गठबंधन सरकार में तीनों दलों की अपनी ख्वाहिशें, अपने मुद्दे और अपने काम भी होंगे। धमकी, चेतावनी और मानमनौव्वल के सीन भी देखने को मिलेंगे। गच्चा खाई बीजेपी भी मौके के इंतजार में रहेगी। एसे में किसी भी सूरत अजित पवार को इग्नोर नहीं किया जा सकता। यदि वह खाली बैठेंगे तो उनके भीतर रेंग रहे राजनीतिक कीड़े उन्हें काटेंगे और तब बेचैनी में वह चिड़चिड़ा कर गुस्से में कोई भी “प्लाट” रच सकते हैं, जिससे सरकार की चूलें हिल सकती हैं। एसे में तो उन्हें सरकार में समायोजित करना लाजिमी हो जाता है। और चतुर सुजान शरद पवार इसे बखूबी समझते हैं।

कयास लगाए जा रहे हैं कि फ्लोर टेस्ट के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में अजित को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन दूध का जला मट्टा फूंक-फूंक कर पीता है, तो उन पर सतर्क निगाहें भी होंगी। दूसरा बड़ा सवाल यह भी है कि क्या यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी तो इस पर सिर्फ कयासबाजी ही की जा सकती है। उद्धव ठाकरे की छवि राज ठाकरे से उलट बिल्कुल शांत-सीधे नेता की है और फिर शरद पवार जैसा अनुभवी दिग्गज भी उनका गाइड है। हां, ये भी तय है कि शरद के इशारे उद्धव को न केवल समझने होंगे, बल्कि उनके आदेश सिरोधार्य भी करने होंगे। उद्धव ठाकरे लिबास चाहे भले ही भगवा धारण करें, लेकिन “धर्मनिरपेक्षता” को सिरमाथे लेना होगा। जरा भी हटे तो कोई राजनीतिक दुर्घटना घट सकती है। साथ ही “न्यूनतम साझा कार्यक्रम” और जनता से किए गए वादे पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती है।
कल शपथ ग्रहण समारोह के मंच में कुछ चौंका देने वाले सीन भी दिखे। शिवसेना कोटे से मंत्री शपथपत्र हाथ में पकड़कर पहले बाबा साहेब ठाकरे को याद कर रहे थे, एनसीपी के मंत्री शरद पवार के आशीर्वाद तो कांग्रेस हिस्से के मंत्री सोनिया गांधी और राहुल गांधी का जिक्र कर उनकी कृपा से अभिभूत हो रहे थे। इसके बाद ही शपथपत्र पढ़ा गया। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अजित पवार को गले लगाकर भावुक दिखीं तो आदित्य ठाकरे नेताओं की अगवानी कर रहे थे। उद्धव ठाकरे जनता के सामने दंडवत हो गए तो शरद पवार मंद-मंद मुस्कराते रहे। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी और अन्य कई विपक्षी नेताओं का शिरकत नहीं करना भी रहस्य बना रहा। बहरहाल देश ने महाराष्ट्र में अपने नेताओं का यह राजनीतिक मैच क्रिकेट के 20-20 की तरह देख कर आनंद लिया और अब आगे क्या होगा ?, इस पर इतना ही कहा जा सकता है कि ‘पिक्चर अभी बाकी है’….।